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Kavi Chandrabhan Singh Lodhi || कवि चन्द्रभान सिंह लोधी

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चन्द्रभान सिंह लोधी  का जन्म मध्यप्रदेश के दमोह जिले के एक छोटे से गांव हरदुआ हाथीघाट में 10 नवंबर 1996 को हुआ था। यह अपने क्षेत्र में "कवि" की उपाधि से भी मशहूर हैं। इनकी शायरी और कविताओं में दर्द और प्रेम देखने को मिलता है। यह ओजस्वी वक्ता के रूप में भी जाने जाते हैं। इनका परिवार कृषि पर आश्रित है इनके पिता एक मध्यमवर्गीय किसान हैं। लोधी एक लेखक हैं और इनकी दो किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। यह सुर्खियों में तब आए जब हाल ही में 1857 की क्रांति के नायक राजा किशोर सिंह लोधी     के जीवन पर शेर-ए- बुंदेलखंड  नामक किताब प्रकाशित हुई। जिसका विमोचन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने किया। नाम - चन्द्रभान सिंह लोधी जन्म - 10 नवंबर 1996 आयु (28) स्थान- हरदुआ (हाथीघाट), जिला दमोह, म.प्र. व्यवसाय- पत्रकार, लेखक, कवि धर्म- हिंदू जाति : लोधी  राजपूत रचनाएं – रामगढ़ की मर्दानी ( रानी अवंती बाई)                शेर-ए-बुंदेलखंड (राजा किशोर सिंह)    प्रारंभिक जीवन और शिक्षा चन्द्रभान सिंह लोधी का जन्म 10 नवंबर 1996 में केहरी सिंह एवं मां अयोध्या बाई के घर हुआ। इनको बचपन

Maharaj Hirdeshah Lodhi || राजा हृदय शाह लोधी

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  Maharaja HirdeShah Lodhi     [1] (also known as   Raja Hirdeshah   Lodhi   or     Raja Hirdeshah Judeo or  राजा हृदय शाह लोधी  ), was a   Lodhi Rajput   Ruler in 19th Century of   Bundelkhand's   Hirapur Princely State in Madhya Pradesh. Raja Hirdeshah   Lodhi   ruled the northern region of present-day Narsinghpur. [2]   He led an armed revolt against the British East India Company in 1842. Biased historians gave the credit of waging the first war against the British to  Mangal Pandey , whereas before him King Hirdeshah of Bundelkhand area Hirapur had kept the British watered to such an extent that even the throne of  Queen Victoria  sitting in London was shaken. Revolt of 1842 Raja Hirdeshah ( also known as the " Narmada Tiger" ) was the main hero of the Bundelkhand  Revolt of 1842 . Although this rebellion was suppressed by the Company government, Hirdeshah again played a sacrificial role in the summer of 1857, in which his entire family was martyred. In the rebellion

Freedom Fighter Thakur Ramdhan Singh Narwariya (MLA) || ठाकुर रामधन सिंह नरवरिया जी विधायक

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Genealogy of Hirapur State || हीरापुर रियासत की वंशावली || Royal Lodhi Rajput Family of Hirapur State

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  हीरागढ या हीरापुर वर्तमान मध्यप्रदेश की एक लोधी (लोध) क्षत्रियों द्वारा शासित एक रियासत थी जिस पर लोधी राजवंश के महदेले शाखा के क्षत्रियों का राज था। हीरागढ के महदेले लोधी क्षत्रिय शासक अपने स्वाभिमान, रणकौशल, त्याग और न्याय के लिए जाने जाते थे। हीरागढ राजवंश के मूल पुरुष महाराज जग्गनाथ सिंह जी थे जो माँ विन्ध्वासिनी के परम् भक्त थे उन्होंने २४ वर्षो तक माँ विन्ध्वासिनी की कठोर तपस्या की थी। जगन्नाथ सिंह जी ने माँ विन्ध्वासिनी के आशीर्वाद से “महा शक्ति यज्ञ”  किया था और “राज राजेश्वरी” की पदवी पायी थी उस समय ये यज्ञ करने वाले ये इकलौते शासक थे। इन्होने काशी के निकट "मौजा गहरवार" नामक राज्य की स्थापना की थी और एक सुद्रढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था। जग्गनाथ सिंह जी मौजा गहरवार के राजसिंघासन पर  "श्री श्री १०८ राजमान राज राजेश्वरी राजा महाराज"  की पदवी के साथ बैठे थे। उनके बाद उनकी आने वाली पीढ़िया इसी पदवी के साथ राजसिंघासन पर बैठती आयी थी. श्री श्री १०८ राजमान राज राजेश्वरी राजा महाराज जगन्नाथ सिंह जूदेव {हीरापुर (हीरागढ) रियासत के शंस्थापक और आदिपुरुष}  श्री श्री १०